जयपुर. प्रदेश में लॉकडाउन के चलते चौथे दिन सड़कों पर मजदूरों की लाइनें देखने को मिलीं। यहां काम करने वाले हजारों मजदूर भूखे-प्यासे कई किलोमीटर पैदल आगे बढ़ते दिखे। ये सभी अपने गृह राज्यों की तरफ पलायन कर रहे हैं। शनिवार को राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने ऐसे शरणार्थी मजदूरों को उनके राज्यों की बॉर्डर तक छुड़वाने की व्यवस्था की। करीब 7 हजार से ज्यादा मजदूरों को शहर के विभिन्न इलाकों से रोडवेज बसों में बैठाकर उनके राज्यों की बॉर्डर तक छोड़ा गया।
सिंधीकैंप, ट्रांसपोर्ट नगर, नारायण सिंह सर्किल और अन्य जिलों में भी बॉर्डर पर लोग इकट्ठा हो गए। जयपुर में सिंधीकैंप बस स्टैंड पर पुलिस ने शरणार्थी मजदूरों को सोशल डिस्टेंस का पालन कर सड़क पर बैठाया। कुछ देर बाद ही मजदूरों की संख्या बढ़ने पर सोशल डिस्टेंस और लॉकडाउन की व्यवस्था लड़खड़ा गई।
स्थानीय सरकार से क्लियरेंस नहीं मिलने से घर नहीं जा सके बिहार और यूपी के मजदूर
बसों से भेजे गए मजदूरों में ज्यादातर गुजरात, हरियाणा, पंजाब, समेत राजस्थान में ही अन्य जिलों के रहने वाले थे। लेकिन, बिहार और उत्तरप्रदेश के मजदूरों को नहीं भेजा जा सका। इसके पीछे रोडवेज एमडी नवीन जैन ने यूपी और बिहार सरकार की क्लियरेंस नहीं मिलना बताया।
पैनिक क्रिएट न करें, ये हमारा रुटीन काम
रोडवेज एमडी जैन ने बताया कि देररात एसीएस होम ने रोडवेज और कलेक्टर के लिए आदेश जारी किए। इसमें पलायन कर रहे लोगों को बसें उप्लब्ध करवाने के लिए कहा गया। उन्होंने कहा- किसी तरह का पैनिक क्रिएट न करें। ये हमारा रुटीन काम है। अब ये इमरजेंसी सेवा है। सभी तरह की सुरक्षा का पालन करते हुए इस स्थिति से डील किया जाएगा।
इस तरह की गई व्यवस्था
रोडवेज एमडी ने बताया कि अगर को यूपी में राजस्थान का व्यक्ति फंसा है तो कलेक्टर भरतपुर आगरा के बॉर्डर पर एक जगह निर्धारित कर देंगे। जहां तक हमें यूपी के लोगों को छोड़ना है। वहीं से राजस्थान के लोगों को लेकर आना है। ऐसे ही हरियाणा, गुजरात, एमपी और पंजाब के साथ भी तय हो जाएगा। हम बॉर्डर से बॉर्डर ही डील करेंगे। आगे की व्यवस्था स्टेट की रोडवेज अपने माध्यम से देखेगी। किसी दूसरे स्टेट के बॉर्डर पर एंटर नहीं करेंगे। सभी यात्राओं का विवरण जरूर रखेंगे।