कुछ बैंक शाखाएं बंदी पर विचार !


भारतीय रिजर्व बैंक और कई प्रमुख सरकारी बैंक इस बात पर विचार कर रहे हैं कि लॉकडाउन की ​इस स्थिति अपने कर्मचारियों को कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए अधिकतर ब्रांचों को बंद किया जाए। एक न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। 1.3 अरब की आबादी वाले भारत में अभी भी अधिकतर लोग नकदी के भरोसे ही अपने रोजाना के काम को चलाते हैं।


यही कारण है कि 21 दिनों के लिए लॉकडाउन के फैसले में बैंकों को इससे छूट दी गई है। बैंक सेवाओं को जरूरी बताते हुए इन्हें खुले रखने को कहा गया है। हालांकि, सरकार ने बैंकों में गैर-जरूरी सेवाओं को अस्थायी रूप से बंद करते हुए कर्मचारियों की संख्या कम रखने की बात कही है।


अब इस नए प्लान के तहत, संभव है कि हर 5 किलोमीटर पर केवल एक ही बैंक ब्रांच खोलने का फैसला लिया जाए। सूत्रों ने कहा कि यह फैसला प्रमुख शहरों के लिए होगा, लेकिन अभी तक इस बारे में कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं गई है। ग्रामीण इलाकों में बैंकों ब्रांच हर 1 दिन के गैप पर खुलेंगे, जहां स्टाफ वेलफेयर स्कीम्स के तहत मिलने वाले रकम की निकासी करने में लोगों की मदद करेंगे। करीब 70 फीसदी लोग गांवों में रहते हैं और ये कैश पर ही अधिक निर्भर रहते हैं। एक सरकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया कि विचार ये ​है कि ग्रामीण इलाकों में बैंक ब्रांच का संचालन खुला रखा जाए, ताकि जो लोग डिजिटल लेनदेन करने में सक्षम नहीं है, उन्हें कोई परेशानी न हो। अनौपचारिक तौर पर, इस मामले में सभी बैंक एक दूसरे से बातचीत कर रहे हैं। दरअसल, अब सरकार द्वारा बैंक ट्रांसफर के जरिए राहत देने के फैसले के बाद इन क्षेत्रों में बैंक विड्रॉल में इजाफा हो सकता है।


केंद्र सरकार ने देशभर में लॉकडाउन के 36 घंटों के अदर 1.7 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक राहत पैकेज का ऐलान किया है। इनमें से एक कदम यह भी है कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को डायरेक्ट कैश ट्रांसफर का लाभ दिया जाएगा। कुछ बैंक इस प्लान पर काम कर करना शुरू कर चुके हैं। हालांकि, अभी यह साफ नहीं हो सका है कि इसे पूरी तरफ से लागू किया जाएगा या नहीं। अभी तक रिजर्व बैंक और इंडियन बैंक एसोसिएशन ने कोई जानकारी नहीं दी है।


एक सूत्र द्वारा दी गई जानकरी के अनुसार करीब एक सप्ताह से इस प्लान पर विचार किया जा रहा है। बैंकों के बीच इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि इस दौरान इंटर-ऑपरेबेल सर्विसेज शुरू की जाए। इसका मतलब होगा कि किसी एक बैंक का ग्राहक किसी अन्य बैंक से भी निकासी कर सकता है। यह लेनदेन दोनों बैंकों के बीच ही सेटलमेंट कर दिया जाएगा।